आज हम सभी को आत्ममंथन और गहन चिंतन की आवश्यकता है..जातपात, छुआछात,धार्मिक संकीर्णता,आरक्षण,सम्प्रदाय वाद को त्यागकर विकास , उन्नति , गुणवत्ता और राष्ट्रवाद को वरीयता देनी चाहिए ।
यह बात बौद्धिक वर्ग ,नेता ,शासक वर्ग,सरकार के पक्ष और विपक्ष और सरकार को अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए।और इस पर क्रिया करनी चाहिए और एकमत होकर नियम और कानून बनाने चाहिए।आमजन तो अपना हित चाहता है परंतु उसे यह ज्ञात नहीं होता कि हित कैसे हो,जिसे प्राप्त करने के लिए वह अपनी सोच और बुद्धि के अनुसार कभी कभी गलत रास्ते का भी चुनाव करलेता है।परंतु इसका दोष आम जनता का नहीं बल्कि खास लोगों का ज्यादा होता है।आज समय आगया है कि खास लोग अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें। इसी में आम और खास सबका हित निहित है।अन्यथा न आम बचेगा न खास।इस पर मुझे एक ट्रक के पीछे लिखी लाइनें याद आ रहीं हैं... "कि जब पड़ौस में रहने वाले भाई के घर में चोरी हो रही हो और आपको नींद आ जाये तो समझ लें बारी आपकी है"......आचार्य मनजीत धर्मध्वज