आज हम सभी को आत्ममंथन और गहन चिंतन की आवश्यकता है..जातपात, छुआछात,धार्मिक संकीर्णता,आरक्षण,सम्प्रदाय वाद को त्यागकर विकास , उन्नति , गुणवत्ता और राष्ट्रवाद को वरीयता देनी चाहिए ।
यह बात बौद्धिक वर्ग ,नेता ,शासक वर्ग,सरकार के पक्ष और विपक्ष और सरकार को अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए।और इस पर क्रिया करनी चाहिए और एकमत होकर नियम और कानून बनाने चाहिए।आमजन तो अपना हित चाहता है परंतु उसे यह ज्ञात नहीं होता कि हित कैसे हो,जिसे प्राप्त करने के लिए वह अपनी सोच और बुद्धि के अनुसार कभी कभी गलत रास्ते का भी ...Read More