• Home
  • >
  • Articles
  • >
  • समाज मे फैला हुआ भ्रष्टाचार
समाज मे फैला हुआ भ्रष्टाचार
5842
Friday, 09 September 2016 02:07 PM Posted By - Nagma

Share this on your social media network

  • भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट + आचार । भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो। जब कोई व्यक्ति न्याय व्यवस्था के मान्य नियमों के विरूद्ध जाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता है तो वह व्यक्ति भष्टाचारी कहलाता है। आज भारत जैसे सोने की चिड़िया कहलाने जाने वाले देश में भ्रष्टाचार अपनी जड़े फैला रहा है। आज भारत में ऐसे कई व्यक्ति मौजूद है जो भ्रष्टाचारी हैं। आज पूरी दुनिया में भारत भ्रष्टाचार के मामले में 94वें स्थान पर है। भ्रष्टाचार के कई रंग-रूप् हैं जैसे रिश्वत, काला-बाजारी, जान बूझकर कर दाम बढ़ाना, पैसा लेकर काम करना, सस्ता सामान लाकर महंगा बेचना आदि। भ्रष्टाचार का सबसे दुखद पहलू तो यह है कि एक तरफ वर्षों से इसका अध्ययन हो रहा है, लेकिन दूसरी और यह मर्ज बढ़ता ही जा रहा है। बैड गवर्नेस की हम जितनी आलोचना करते हैं, शासन में बैठे अधिकारी भ्रष्टाचार को उतने ही उत्साह से गले लगाते हैं यह अत्यंत निंदनीय स्थिति है और इसका प्रभाव सामाजिक आधार को ही खोखला कर रहा है। भ्रष्टाचार पर संयुक्त राष्ट्र ने एक सम्मेलन आयोजित किया था। सम्मेलन के अंतिम दिन भारत इसमें शामिल हुआ। सम्मेलन ने यह जरूरत बताई कि भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों को राष्ट्रीय कानून का दर्जा मिलना चाहिए। इस सिफारिश पर भारत ने भी मोहर लगाई। सम्मेलन के 18 महीने बाद भी भारत सरकार ने इस दिशा में कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की. देश में भ्रष्टाचार खत्म या कम क्यों नहीं हो रहा है? क्योंकि बहुसंख्य मामलों में रिश्वत लने वाला और देने वाला दोनो ही खुश और आपस में होने वाले फायदों से परम संतुष्ट होते हैं। जब मियां-बीवी राजी तो क्या करेगा काजी ? यह लोग ही भ्रष्ट तंत्र के सबसे बड़े पोशक हैं। भारत की राजनीति में आज वृद्ध लोगों का ही बोलबाला है और चंद गिने-चुने युवा ही राजनीति में है। इसका एक कारण यह है कि भारत में राजनीति का माहौल दिन-ब-दिन बिगड़ रहा है और सच्चे राजनीतिक लोगों की जगह सत्तालोलुप और धन के लालची लोगो ने ले ली है। राजनीति में देश प्रेम की भावना की जगाह परिवारवाद, जातिवाद और संप्रदाय ने ले ली है। आए दिन जिस तरह से नेताओं के भ्रष्टाचार के किस्से बाहर आ रहे है देश के युवा वर्ग में राजनीति के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि भारत के युवा अब इस देश को अपना न समझकर दूसरे देशों में उपना आशियाना खोज रहे हैं। वे यहां की राजनीतिक सत्ता और फैले हुए भ्रष्टाचार से दूर होना चाहते हैं। इसलिए वे कोई भी ठोस कदम उठाने से पहले कई-कई बार सोचते हैं।यहां तक कि भारत में वोट डालने वाले युवा को अपने चुने हुए उम्मीदवार पर तक भरोसा नहीं होता है। भ्रष्टाचार को जड़ मूल से समाप्त करने के लिए आज व्यापक आंदोलन की आवश्यकता है। यह आंदोलन युवा वर्ग को अपने आसपास और स्कूल/कॉलेज से ही प्रारंभ करना होगा। हर घर में इस तरह के आंदोलन की जरूरत है। मेरी दृष्टि में सिर्फ तीन लोग देश के भ्रष्टाचार को समाप्त करने में सहायक हो सकते हैं, ये हैं-माता,पिता और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक ।

Copyright © 2010-16 All rights reserved by: City Web