बेरोजगारी/बेकारि से तात्पर्य उन लोगो से है, जिन्हे काम नही मिलता ना कि उन लोगो से जो काम करना नही चाहते। यहां रोजगार से तात्पर्य प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के लिए तैयार लोगो से है। यदि किसी समय किसी काम की मजदूरी 110 रूपय रोज है और कुछ समय पश्चात इसकी मजदूरी घटकर 100 रूपय हो जाती है और व्यक्ति इस कीमत पर काम करने के लिए तैयार नही है तो वह व्यक्ति बेरोजगार की श्रेणी मे नहीं आएगा। इसके अतिरिक्त बच्चे, बुड़े, अपंग, वृद्ध या साधू संत भी बेरोजगारी की श्रेणी मे नहीं आते। अगर हम बहुत ही सरल शब्दो मे समझाना चाहें, तो बेरोजगारी का सीधा सीधा संबंध काम या रोजगार के अभाव से है यह भी कहा जा सकता है कि जब किसी देष की जनसंख्या का अनुपात वहा उपस्थित रोजगार के अवसरो से कम हो, तो उस जगह बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाती। बढ़ती बेरोजगारी के कई कारण हो सकते है जैसे बढ़ती जनसंख्या, शिक्षा का अभाव,औध्गिकरण आदि।
शिक्षा और बेरोजगारी का भी गहरा संबंध है, भारत की जनसंख्या काफी बड़े अनुपात मे अषिक्षित है, तो अशिक्षा के चलते बेरोजगारी का आना तो स्वभाविक बात है। पंरतु आज कल अशिक्षा के साथ-साथ एक बहुत बड़ी समस्या है, हर छात्र के द्वारा एक ही तरह की शिक्षा को चुना जाना। जैसे आज कल हम कई सारे इंजीनीयर्स को बेरोजगार भटकते देखते हैं, इसका कारण इनकी संख्या की अधिकता है। आज हर छात्र दूसरे को फ़ॉलो करना चाहता है,उसकी अपनी स्वयं की कोई सोच नहीं बची वो बस दूसरो को देखकर अपने क्षेत्र का चयन करने लगा है। जिसके परिणाम यह सामने आए है कि उस क्षेत्र मे राजगार की कमी और उस क्षेत्र के छात्र बेरोजगार रहने लगे।
बेरोजगारी के कई रूप या नाम है। जैसे संरचनात्मक बेरोजगरी, अल्प बेरोजगरी, अदृष्य बेरोजगरी, खुली बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, छिपी बेरोजगरी आदि इसी प्रकार बढ़ती बेरोजगरी को देखते हुये कई योजनाए लागू की गयी, उनमें से कुछ यह हैं। 25 अगस्त 2005 को इस योजना का अधिनियमित किया गया। इस योजना के अंतर्गत,गरीब परिवार को वर्ष में 100 दिन रोजगार उलब्ध कराना अनिवार्य किया गया। महात्मा रोजगार गेरेंटी योजना के अंतर्गत प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी 220 रूपय तय की गयी थीं। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना इस योजना का मुख्य उदेश्य युवाओ को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है। फिलहाल इस योजना का केंद्र उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान है। आज आवश्यकता इस बात की है कि बेराजगारी के मूलभूत कारणों की खोज के पश्चात् इसके निदान हेतु कुछ सार्थक उपाय किए जाएँ। इसके लिए सर्वप्रथम हमें अपने छात्र-छात्राओं तथा युवक-युवतियों की मानसिकता में भी परिवर्तन लाना होगा। यह तभी प्रभावी हो सकता है जब हम अपनी शिक्षा पद्धति में सकारात्कम परिवर्तन लाएँ। उन्हें आवश्यक व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करें जिससे वे शिक्षा का समुचित प्रयोग कर सकें । विद्यालयों में तकनीकी एवं कार्य पर आधारित शिक्षा दें जिससे उनकी शिक्षा का प्रयोग उद्योगों व फैक्ट्रियों में हो सके और वे आसानी से नौकरी पा सकें।